रूको मत जलाओ आशाओं की किरण, और छोड़ो ये दिलासा देना
भोपाल हो जाएगा भोजपाल, और किसानो की हो रही मौत की क्या?
भोपाल हो जाएगा भोजपाल, और किसानो की हो रही मौत की क्या?
रूको और मत बनाओ योजनाऐं, और छोड़ो ये विकास की बातें करना
भोपाल हो जाएगा भोजपाल, और राज्य में बढ़ रहे भ्रष्टाचारों की क्या?
भोपाल हो जाएगा भोजपाल, और राज्य में बढ़ रहे भ्रष्टाचारों की क्या?
रूको और देखो कुछ छोटे गरीब बच्चे,भोपाल के सडक़ों पर नंगे घुम रहे है
भोपाल हो जाएगा भोजपाल, और भूख से बिलख रहे उस गरीब का क्या?
भोपाल हो जाएगा भोजपाल, और भूख से बिलख रहे उस गरीब का क्या?
क्योंकि तुम्हारी ही एक फूंक से वो बूझ जाऐगी
फिर भोपाल भोजपाल तो हो जाएगा, पर उसकी याद हमें हमेशा सताऐगी .
No comments:
Post a Comment