Tuesday, January 25, 2011

कौन जाने की कल

तुमसे मिलने को चेहरे बनाना पड़े
क्या दिखायें जो दिल भी दिखाना पड़े,

गम के घर तक न जाने की कोशिश करो
जाने किस मोड़ पर मुसकुराना पड़े,

आग ऐसी लगाने से क्या फायदा
जिसके शोलों को खुद ही बुझाना पड़े,

कल का वादा न लो, कौन जाने की कल
किस को चाहंू, किसे भूल जाना पड़े,

खो न देना कहीं ठोकरों का हिसाब
जाने किस-किस को रास्ता बताना पड़े,

ऐसे बाजार में आये ही क्यों वसीम
अपनी बोली जहां खुद लगाना पड़े।
                    

                                        वसीम बरेलवी

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